Wednesday, January 11, 2023

भाई poem by गुंजन यादव

भाई

पिता की परछाई होते हैं भाई,
छोटी-छोटी बातों पर लड़े वो होते हैं भाई।
हमारे पहले रक्षक होते हैं भाई,
अपनी हर बात हमें बताये वो होते है भाई।।

माँ के लाडले होते हैं भाई,
घर का चिराग होते हैं भाई।
रक्षाबंधन की कलाई होते हैं भाई,
भाई दूज का नाम होते हैं भाई।।

दादा को प्यारे होते हैं भाई,
खानदान का वारिस होते हैं भाई।
बहनों को बहुत सताते हैं भाई,
बहनों की गुड़िया छिपाते हैं भाई।।

सबकी आंखों का तारा होते हैं भाई,
बहन की शादी में जो खुद रोये वी होते हैं भाई।
सरहद पर शहीद होते वो भी हैं भाई,
सबसे प्यारा उपहार होते होते हैं भाई।।

बहन के लिए जो जमाने से लड़े वो होते हैं भाई,
बहनों की शान होते हैं भाई।
छिप-छिप कर रोते हैं वो होते हैं भाई,
बहनों को प्यारे होते हैं भाई।।

- गुंजन यादव ©® कक्षा-9th,
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम),
कोहला, हनुमानगढ़ (राजस्थान)

MATHS A poem by Atul Baweja

MATHS
A poem by Atul Baweja ©®
You know what is Maths?
Children use to afraid of Maths
While it is an interesting game,
When it is taught by our ma'am.

You know what is Maths?
Children find it tough
But it is a mystery,
Not less than learning the facts of history.

You know what is Maths?
Children use to play many games
But it is the game you play everyday
When you go to sleep or down you lay.

You know what is Maths?
Children use to get it solved
But it is a task you want to fulfill,
You can overcome all fears at your will.
~ Atul Baweja, 8th (Std.)
Mahatma Gandhi (English Medium) Govt. School,
Kohla (Hanumangarh)

बहनें poem by गुंजन यादव

बहनें 

माँ का दूजा रूप होती है बहनें, 
घर की रौनक होती है बहनें।
पापा की लाडली होती है बहनें, 
सबसे प्यारी होती हैं बहनें ।।

प्यार से हमें डाँटे वो होती है बहनें,
हमारे लिए सबसे लड़ जाए वो होती हैं बहनें।
गुड़िया जैसी सुंदर होती है बहनें, 
घर की शान होती है बहनें ।। 

रक्षा-बंधन का त्योहार होती है बहनें, 
भाई-दूज का प्यार होती है बहनें।
चिड़िया सी चहके वो होती है बहनें, 
सबकी राजदुलारी होती है बहनें।।

आँखों का तारा होती है बहनें, 
नदी की धारा-सी होती है बहनें।
खुली किताब-सी होती है बहनें, 
सुख- दुःख का सहारा होती है बहनें।।
 
फूलों-सी कोमल होती है बहनें,
जो सूरज-सी दमके वो होती है बहनें।
बाबुल के आँगन में चहके वो होती है बहनें,
घर की लक्ष्मी होती है बहनें।।
-गुंजन यादव ©® कक्षा 9 Std.
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, 
कोहला

पापा poem by गुंजन यादव

पापा
अंगुली को पकड़ कर चलना सिखाया, 
चरणों में पापा के मैंने जन्नत को पाया। 
बेटी को बेटे सा सम्मान-दर्जा दिलाया, 
छीलकर हाथों से बादाम खिलाया।।

दुःख में भी आँखों से अश्रु नहीं आया, 
कंधे पर बैठाकर सारा संसार घुमाया। 
जो जो माँगा वो ही खिलौना दिलाया, 
पापा ने मुझे प्यार से खूब पढ़ाया ।।

विद्यालय को उन्होंने पवित्र मन्दिर बताया, 
मुझे मेरे हक के लिए लड़ना सिखाया। 
स्वतंत्र होकर आकाश में उड़ना सिखाया, 
अपने हाथों से उन्होंने खाना खिलाया।।

तर्क से फर्क मिटेगा रहस्य यह बताया, 
कलम पकड़कर लिखना सिखाया । 
गोद में बिठाकर क्या क्या नहीं खिलाया , 
चाँद-तारों को मेरे कदमों में सजाया।।

पिता के रूप में मैंने सच्चे ईश्वर को पाया, 
मेरा सपना उन्होंने पूरा करना सिखाया।
हर वक्त उन्होंने मेरा हौंसला भी बढ़ाया, 
अपने पैरों पर अडिग खड़ा होना सिखाया । 

बेटी के लिए हीरो हैं उनके पापा, 
दुनिया में मुझे सबसे प्यारे हैं मेरे पापा।।

~ गुंजन यादव, कक्षा 9 ©®
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, कोहला।

A Pinch of Salt: Foreword by M.A. Rathore

  A Pinch of Salt: Foreword by M.A. Rathore   FOREWORD ‘A Pinch of Salt’, by Rajni Chhabra is a hallmark of modern poetry. She writes in Eng...